नए कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मध्यप्रदेश पुलिस ने किया मंथन

नए कानूनों के संबंध में पुलिस मुख्यालय में हुई कार्यशाला
मध्यप्रदेश के समस्त पुलिस अधिकारियों ने प्राप्त किया मार्गदर्शन

केंद्र सरकार द्वारा तीन नए कानूनों को पारित किए जाने के बाद गुरुवार को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। पुलिस मुख्यालय के सभागृह में हुए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में संपूर्ण मध्यप्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों को नए कानूनों और उनके क्रियान्वयन के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। डीजीपी श्री सुधीर सक्सेना के मार्गदर्शन में हुए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में सेवानिवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी व सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर श्री डी. सी. जैन ने नए कानूनों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। इस कार्यशाला में मध्यप्रदेश के समस्त इकाइयों के उप पुलिस अधीक्षक एवं उनसे वरिष्ठ समस्त पुलिस अधिकारी वर्चुअल रूप से इसमें उपस्थित रहे। वहीं पुलिस मुख्यालय एवं भोपाल के समस्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित हुए।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रचलित आपराधिक कानून भारतीय दंड संहिता 1860 को भारतीय न्याय संहिता 2023, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के रूप में संशोधित एवं नवीनीकृत करने के बाद पारित किए हैं। उपरोक्त आधार पर व्यापक स्तर पर न्याय प्रणाली एवं कानूनों के क्रियान्वयन में परिवर्तन होना अपेक्षित है। इस तारतम्य में कानूनों का पालन कराने वाली एजेंसी के रूप में पुलिस के क्षमता विकास पर अत्यधिक महत्व दिया जा रहा है। डीजीपी श्री सक्सेना द्वारा कार्ययोजना बनाते हुए इसके व्यापक प्रचार-प्रसार, प्रशिक्षण और क्रियान्वयन हेतु योजनाबद्ध तरीके से कार्य संपादन के लिए अपने अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है।

न्याय केंद्रित है नए कानून की प्रक्रिया : श्री जैन

कार्यशाला में प्रमुख वक्ता श्री जैन ने मध्यप्रदेश के संपूर्ण वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को नए कानूनों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। तीन घंटे तक चले अपने संबोधन में श्री जैन ने बताया कि नए कानून, पुराने कानूनों से किस प्रकार भिन्न हैं?, कौन से कृत्यों को अपराध की परिधि में शामिल किया गया है? और पुलिस के अपराध अनुसंधान के दायरे को किस प्रकार संदर्भित किया गया है? आईटी तथा इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों का प्रयोग किए प्रकार कानून के रूप में मान्य बनाया गया है, महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध होने वाले अपराधों में क्या संशोधन किए गए हैं ? तथा पुलिस के आपराधिक अनुसंधान को विस्तृत करने और उत्तरदायित्व को कैसे बढ़ाया गया है? इस पर उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए। इसके अतिरिक्त अनुसंधान के दौरान तकनीक के उपयोग तथा सजा के स्थान पर न्याय केंद्रित कानून प्रक्रिया को लागू करने में, नए कानूनों के अनुसार कार्रवाई करने में पुलिस के कर्तव्यों और अपेक्षित व्यावसायिक दक्षता में पुलिस को क्या-क्या ध्यान रखना चाहिए इस पर विस्तार से उन्होंने मार्गदर्शन दिया।

डीजीपी श्री सक्सेना ने श्री जैन को भेंट किया स्मृति चिह्न

पुलिस मुख्यालय के खचाखच भरे सभागृह में हुई कार्यशाला के समापन अवसर पर डीजीपी श्री सुधीर सक्सेना ने प्रदेश में थाना स्तर तक अनुसंधानकर्ताओं को नए कानूनों के संबंध में जागरूक बनाकर उनकी क्षमता को विकसित कर प्रभावी कार्य करने के लिए समस्त अधिकारियों को प्रेरित किया। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठतम अधिकारियों की उपस्थिति में डीजीपी श्री सुधीर सक्सेना ने प्रमुख वक्ता सेवानिवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी व सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर श्री डी. सी. जैन का स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा नए कानूनों के संबंध में विशेष रुचि लेने पर उनकी सराहना की। साथ ही विश्वास जताया कि सभी अधिकारी इन कानूनों को समझकर प्रभावी कार्य संपादन कर पाएंगे।

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